रामू काका कहिन : जिन्ना से इमरान तक !

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जिन्ना से इमरान तक

१९३० के दशक से जिन्ना तपेदिक से पीड़ित थे लेकिन उन्होंने दुनिया को पता नहीं चलने दिया था. पाकिस्तान के आधिकारिक राष्ट्र बनने के पहले ही ११ सितंबर १९४८ को उनकी मृत्यु हो गई. फातिमा जिन्ना ने बाद में लिखा: अपनी जीत के घंटे में भी क़ैद-ए-आज़म गंभीर रूप से बीमार थे, उन्होंने पाकिस्तान के लिए एक उन्माद में काम किया और अपने स्वास्थ्य की पूरी तरह से उपेक्षा की. कई वर्षों के बाद माउंटबेटन ने कहा कि अगर उन्हें पता होता तो वे रुक जाते और भारत का विभाजन टल जाता.

जब १९४८ में तपेदिक के कारण जिन्ना की प्राकृतिक मृत्यु हुई तो इस्लामिक विद्वान मौलाना शब्बीर अहमद उस्मानी ने जिन्ना की मौत की तुलना पैगंबर साहब से की थी और कहा था कि जिन्ना, कराची से अंकारा तक और पाकिस्तान से मोरक्को तक सभी मुस्लिम देशों का एक ठोस ब्लॉक बनाने के लिए दुनिया के सभी मुसलमानों को इस्लाम के बैनर तले एकजुट होते देखना चाहते थे. एक ऑफिसियल इस्लामिक राज्य में पाकिस्तान के परिवर्तन का नेतृत्व मौलाना शब्बीर अहमद उस्मानी ने ही किया जो एक सम्मानित देवबंदी आलिम (विद्वान) थे.

१९४९ में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर अफगानिस्तान के साथ और कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ समस्याएं पैदा हो गईं. मुस्लिम लीग के खलीकुज़्ज़मान ने घोषणा कर दी थी कि पाकिस्तान सभी मुस्लिम देशों को एक इस्लामिक इकाई के रूप में एक साथ लाएगा. उस समय अरब की अधिकांश दुनिया जाग रही थी, उन्होंने ‘इस्लामिस्तान’ परियोजना को पाकिस्तान द्वारा इस्लाम पर हावी होने के रूप में देखा.

१९५१ में प्रथम प्रधान मंत्री की हत्या हो गई, १९५३ मेंअहमदिया विरोधी दंगे भड़क गए, १९५६ में संविधान फाइनल हुआ, पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र घोषित हो गया. पूर्वी पाकिस्तान में बढ़ते उन्माद, बड़े पैमाने पर गिरफ़्तारी, राष्ट्रपति इस्कन्दर मिर्ज़ा द्वारा बर्खास्तगी के डर वगैरह के कारण द्वितीय प्रधानमंत्री सुहरावर्दी इस्तीफ़ा दे गए, १९५८ में नए चुनावों का दबाव बढ़ा, इस्कंदर मिर्ज़ा ने सेनाध्यक्ष अयूब खान को कमांडर-इन-चीफ़ नियुक्त करके मार्शल लॉ लगा दिया. अयूब ने मिर्जा को पद से मुक्त कर लंदन निर्वासित कर दिया, खुद को पांच सितारा फील्ड मार्शल घोषित करते हुए राष्ट्रपति पद ग्रहण किया, लगभग तीन हज़ार अधिकारियों को बर्खास्त किया, कईयों का डिमोशन किया, सरकारी नौकरों को कड़ी मेहनत करने का आदेश दिया, ई.बी.डी.ओ. (इलेक्टिव बॉडीज डिसक्वालिफिकेशन ऑर्डर) नामक एक नया कानून बनाया, पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति अचानक बदल दिया. इससे सिविल सेवा, सेना और जमींदारों में तानाशाही को प्रोत्साहन मिला. अयूब जी एक सफल जनमत संग्रह का आयोजन करते हुए १४ फरवरी, १९६० को पांच साल के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति और अपनी पसंद का संविधान देने का जनादेश भी ले लिए. अयूब खान के अधीन एक नागरिक संवैधानिक सरकार ने सैन्य शासन की जगह ली. २५ मार्च १९६९ को अयूब साहब ने अपना ही बनाया संविधान रद्द कर दिया और सत्ता कमांडर-इन-चीफ याहया खान को सौंप दी. याह्या खान के नेतृत्व में एक व्यक्ति एक वोट के सिद्धांत तहत २३ बरस बाद १९७० में पकिस्तान का पहला राष्ट्रव्यापी चुनाव हुआ लेकिन पूर्वी पाकिस्तान से विजयी शेख मुजीबुर्रहमान को सत्ता नहीं दी गई, विद्रोह हो गया, इंदिरा जी ने हस्तक्षेप किया, पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के नाम से आज़ाद हो गया.

जुल्फिकार अली भुट्टो का उदय हुआ, पश्चिम पाकिस्तान में अधिकांश सीटों पर जीत उनकी पार्टी पीपीपी ने हासिल की थी, दिसंबर १९७१ में भुट्टो को राष्ट्रपति पद सौंप दिया गया और आपातकाल नियम लागू कर दिया गया. भारत के साथ शिमला समझौता हुआ, युद्ध के ४३६०० पाकिस्तानी युद्ध कैदी और ५००० वर्गमील पकिस्तान को वापिस मिल गए. ज़ुल्फ़िकार जी ने चीन और अरब के साथ संबंध मजबूत किए, १९७४ में लाहौर में इस्लामी सम्मेलन की मेजबानी की, पाकिस्तान संसद से १९७३ के नए संविधान की मंजूरी ली, फ़ज़ल इलाही चौधरी को राष्ट्रपति नियुक्त किया, स्वयं के नए अधिकार प्राप्त प्रधानमंत्री का कार्यभार लिया, परमाणु कार्यक्रम को गति प्रदान की. घरेलू समस्याओं-खासकर बलूचिस्तान में प्रांतीय सामंती सरकारों को भंग करने के बाद हुई अशांति के कारण १९७३ में प्रांत में सैनिक शासन लागू हुआ, हजारों विद्रोही हताहत हुए. गृह युद्ध के बावजूद ज़ुल्फ़िकार ने १९७७ के चुनाव व्यापक अंतर से जीते, विपक्ष ने व्यापक धांधली का आरोप लगाया, देश भर में हिंसा बढ़ गई, ५ जुलाई को सेना-प्रमुख जिया-उल-हक ने तख्ता पलट दिया, राजनीतिक हत्या का केस चलाकर ४ अप्रैल १९७९ को उन्हें भुट्टो को फांसी दे दी. याह्या खान की मृत्यु हाउस अरेस्ट में रहते हुए १९८० में हुई.

जनरल जिया १७ अगस्त १९८८ को विमान दुर्घटना के शिकार हुए, साथ में सेना-प्रमुख भी गए. कई तरह की बातें हुईं, खोजी पत्रकार हनीफ ने सेना के बड़े अधिकारी की तरफ इशारा किया, आई.एस.आई. प्रमुख हमीद गुल ने अमेरिका की तरफ, सन्डे टाइम्स ने जिया से नफरत करने वाले पायलट की तरफ, तो किसी ने तहरीक निफ़ाज़ फ़िक़-ए-जफ़रिया की तरफ. १९८८ में हुए में आम चुनावों के बाद ज़ुल्फ़िकार-सुपुत्री बेनजीर प्रधानमंत्री बनीं. १९८८ से १९९३ के बीच राष्ट्रपति ने कई बार सरकार भगाई, फिर १९९७ में नवाज़ आए लेकिन मुशर्रफ ने फिर तख्ता पलट दिया. २००२ में चुनाव हुए, २००७ में मुशर्रफ ने फिर आपातकाल लगा दिया, सेना को पुनः अतिरिक्त अतिरिक्त शक्तियां दे दीं.

११ सितम्बर २००१ के बाद अमेरिका की नींद खुली, पकिस्तान की तशरीफ़ लाल की. फिर पाकिस्तान सेना ने अफगान सीमा पर वज़ीरिस्तान के पहाड़ी क्षेत्र में अल-कायदा की खोज शुरू की तो इस्लामिक आतंकवादियों और स्थानीय आदिवासियों में युद्ध प्रारंभ हो गया. २००६ में वजीरिस्तान समझौता हुआ जिसे तालीबान ने तोड़ दिया क्योंकि पाकिस्तानी ने अमेरिकी दवाब में तालिबान क्षेत्र खाली कराने का अभियान शुरू कर दिया. इस बीच अमेरिका ओसामा को खोज रहा था, ओसामा पाकिस्तान में आराम कर रहा था और पाकिस्तान बार बार कह रहा था कि ओसामा पकिस्तान में नहीं है. फाइनली ओसामा मारा गया, बिना पाकिस्तान की जानकारी के. २०१३ में पाकिस्तान में ऑल पार्टीज़ कॉन्फ्रेंस में आतंकवाद नियंत्रण पर सहमति हुई, सैन्य अभियान चला, विभिन्न आतंकवादी समूहों से तकरार हुई, २०१४ में कराची इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हमला हो गया.

अब आए हैं आए तेज़ पठान पश्तून गेंदबाज़, शेरशाह के एक सहायक के वंशज, इमरान अहमद खान नियाजी. टेस्ट क्रिकेट में ३६२ विकेट, वनडे में १८२ विकेट, फिर तीन महिलाओं के विकेट. तीन महिलाओं के साथ इमरान खान का विवाह उनके राजनीतिक-धार्मिक विचारधारा में बहाव के साथ मेल खाता है. प्रत्येक विवाह के साथ इमरान खान अधिक प्रतिगामी होते गए, बेगमें भी पिछले वाले की तुलना में अधिक रूढ़िवादी होती गईं. जहां इमरान खान की पहली पत्नी जेमिमा गोल्डस्मिथ के बाल और सिर खुले हैं, वहीं दूसरी पत्नी रेहम खान आंशिक रूप से दुपट्टे के साथ उन्हें कवर करती हैं, जबकि उनकी वर्तमान पत्नी बुशरा बीबी आम तौर पर परदे को बनाए रखती हैं और अपना चेहरा भी नहीं दिखाती हैं. जेमिमा के साथ शादी के वक़्त इमरान खान की छवि एक तेजतर्रार, तुलनात्मक रूप से उदार व्यक्ति की थी. जब रेहम से शादी की तब जिहाद के नाम पर आतंकवादियों का समर्थन करना शुरू कर दिया. बुशरा बीबी से शादी करने के बाद उनकी पीटीआई राष्ट्रीय चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. मतगणना शुरू होने के बाद अपने पहले ही संबोधन में इमरान खान और अधिक प्रतिगामी हो गए और पाकिस्तान को ७ वीं शताब्दी की मदीना बनाने की बात करने लगे. क्रिकेट से सेवानिवृत्त होने के बाद १९९४ में लिखी गई अपनी आत्मकथा में इमरान खान ने कहा कि वे एक बोतल टॉप का उपयोग कर गेंद के साथ छेड़छाड़ करते थे.

अगर आपने पूरा पढ़ लिया है और फिर भी आप पाकिस्तान में और पाकिस्तान से शांति की उम्मीद रखते हैं तो ज़रूर रखिए क्योंकि उम्मीद पर ही तो दुनिया टिकी है.

अल्ला हाफ़िज़.
हाफिज बोले तो हिफाज़त करने वाला.

-रामचन्द्र
घर गनौल ससुराल मंझौल

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