वसंत पंचमी का त्योहार 10 फरवरी को बिहार झारखण्ड एसोसिएशन ऑफ़ जापान ने पूरी श्रद्धा से इस्कॉन मंदिर में मनाया ।

No comments

टोक्यो , जापान में पहली बार सरस्वती पूजा का आयोजन एसोसिएशन के तत्वावधान में धूम धाम से किया गया । सभी सदस्य का उत्साह सराहनीय था । ५० से भी ज्यादा वयस्क एवं २० के आस पास छोटे बच्चों ने पूर्व निर्धारित समय से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई । पूजा – अर्चना , आरती के बाद सबने मिलकर ” हे शारदे माँ “ वंदना भी एक स्वर में गाया ।

 

बसंत पंचमी / रंग पंचमी के दिन हमारे यहाँ एक शुभ कार्य प्रातः ही होता रहा है माता सरस्वती की प्रतिमा के सामने – हाथे खोरी / खल्ली छुआना / अक्षरारंभ संस्कार । हम सभी का हुआ है । अपने बच्चों के लिए भी यह परम्परा जीवित रखते हुए सभी अभिभावक ने अपने बच्चो का यह शिक्षा संस्कार भी करवाया।

उसके अलावे छोटे बच्चों ने ड्रेस प्रतियोगिता का भी की जिसमे किसी ने राधा के रूप में कान्हा को याद करते हुए एक क्यूट परफॉरमेंस दिया तो किसी ने स्वामी विवेकानंद , ईश्वर चंद्र विद्यासागर , राजकुमारी , मीरा , लता मंगेशकर , अल्बर्ट आईन्स्टीन ,सम्राट अशोक का रोल प्ले किया । सभी आये हुए सदस्यों के लिए प्रसाद रूपी दोपहर का भोजन भी था , जिसे सबने एक साथ मिलकर किया ।

इस पूजा उत्सव को सफल बनाने के लिए सभी सदस्य का दिल से आभार !!

माँ सरस्वती भारत ही नहीं जापान में भी रहती हैं।

एक तरफ भारत में जहाँ माँ सरस्वती को साहित्य, संगीत, कला की देवी माना जाता है ,वहीं जापान में सरस्वती को ‘बेंजाइतेन‘ (弁才天, 弁財天) कहते हैं। जापान में उनका चित्रन हाथ में एक संगीत वाद्य लिए हुए किया जाता है। जापान में वे ज्ञान, संगीत तथा ‘प्रवाहित होने वाली’ वस्तुओं की देवी के रूप में पूजित हैं। 6वी7वीं शताब्दी से जापान में बेंजाइटन देवी की पूजा शुरू हुई जो वर्तमान में भी जारी है। बेंजाइटन की पूजा जापानी शिंतो धर्म के लोग करते हैं। शिंतो धर्म को ही ‘कामी’ कहते हैं। उनका मानना है कि देवी बेंजाइटन ने ही इस प्रकृति, जीव और ब्रह्मांड की उत्पत्ति की है।

sars

जापान में देवी बेंजाइटन की तीन प्रसिद्ध मंदिर मौजूद हैं। जहां देवी बेंजाइटन की पूजा होती है। यहां श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शनार्थ के लिए आते हैं। हिरोशिमा प्रांत में ‘इत्सुकुशुमा मंदिर’, कानागावा प्रांत में ‘इनोशिमा मंदिर’ और शिंगा प्रांत में ‘होगोन-जी मंदिर’ देवी बेंजाइटन की प्रमुख मंदिर हैं।

देवी बेंजाइटन या सरस्वती जापान में दो रूपों में पूजी जाती है। एक रूप में उनके आठ हाथ हैं तो पूजी जाने वाली दूसरे रूप में उनके कवल दो हाथें हैं। दो हाथों वाले रूप में वो वीणा जैसी एक जापानी वाद्ययंत्र बिवा धारण किये हुए है।

विकास  रंजन
टोक्यो , जापान

Leave a comment