पापा उन लम्हों को दुबारा जी लेने का मन करता है !

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पापा के नाम चिट्ठी ! 

कितने दूर चले गए हो पापा ,
इस दूरी से डर सा लगता है ,
आपके सीने से लग पापा ,
रोने का मन फिर करता है !

अब ये नामुमकिन सा ही है ,
न जाने क्यों दिल नहीं मानता है ,
उन लम्हों को दुबारा ,
जी लेने का मन करता है !

बचपन में काँधे पर खेलाया ,
मेरी गलती करने पर भी वो ,
कभी मुझपर गुस्सा न करना ,
बातों में जीवन समझाना,
ताकत बुद्धि की बताना ,
पापा फिर मिलने आ जाना ,
लम्हों को वापस ले आना ,
थोड़ा मुश्किल सा लगता है ,
पर मिलने का मन सा करता है !

ये नामुमकिन सा लगता है ,
पर जाने का मन करता है ,
आपके संग फिर से महाभारत ,
देखने का मन करता है !

द्रौपदी के चीरहरण के वक़्त ,
आपकी आँखों में आंसू देखने ,
को मन करता है ,
आपके लाये झाल-मुरही , रसगुल्ला ,
खाने को मन करता है !
पापा फिर से आपके पैसे से ,
कुछ खर्च करने को मन करता है ,
उन अच्छी यादों को फिर से ,
जी लेने का मन करता है !

संग मोटर साइकिल में फिर से ,
गांव घूम आने का मन करता है ,
अब आ जाओ पापा फिर से ,
जी भर के बात करने को मन करता है ,
थोड़ा मुश्किल सा लगता है ,
संग जीने का मन करता है !

ये नामुमकिन सा लगता है ,
पर लिखने का मन करता है ,
कैसे हो पापा कहने का ,
ये फोन पर बहुत मन करता है !

अपना ख्याल रखना बेटा,
मम्मी की चिंता मत करना ,
मन्टुन का ख्याल रखना,
अपने काम को अच्छे से करना ,
मेरी बहु का ख्याल रखना ,
ये सब सुनने को मन करता है !

है मोबाइल मगर उनमे से ,
तुम तक न सिग्नल लगता है ,
कुछ खाली खाली सा लगता है ,
पापा फिर मिलने आ जाना ,
उन लम्हों को दुबारा ,
जी लेने का मन करता है !

फिर से गर धरती पर आना ,
बेटा तुम मुझको ही बनाना ,
थोड़ा मुश्किल सा लगता है
पर ऐसा हो मन करता है !

पापा स्व. श्री शालिग्राम सिंह (बस मालिक, लाल बाबू जी ट्रेवल्स ) की दूसरी पुण्य तिथि 3rd मार्च 2019 के मौके पर सत सत नमन एवं भावभीनी श्रद्धांजलि !

आपका बेटा
विकास रंजन बिटटू
लोहियानगर , बेगूसराय
वर्तमान में : टोक्यो , जापान

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