मेरी होली आप ,दीवाली आप ,दुर्गा पूजा आप ,छठ पूजा भी आप,आप नहीं तो सब सुना सा है
रहने को सदा देहर में आता नहीं कोई , आप जैसे गये ऐसे भी जाता नहीं कोई ~

पापा आपकी अंतिम यात्रा काफी शानदार रही , न किसी से कोई गिला न शिकवा ..मजे से अपने हिस्से की जिंदगी जी चल दिए उस डगर पर जिसकी राह बहुत ही सुहानी है . आप भोज प्रेमी थे ,आखिरी बार आपको लोगो ने भोज खाते ही देखा था …आप भोज खाकर आये …चुपके से बिना बताये चले गए ..आपने निश्चय ही देखा होगा .पंडित जी ने जितने सामान दान – पुण्य के लिए लिखवाये थे …सब अच्छे से किया…गरुड़ पुराण का पूरा पाठ किये ..पंडित जी बोलते थे की मेरे अंदर आप समाहित थे …मुझे आपके हिस्से का भी खाना खाने दिया जाता था..रात में आपके पास ही सोता था . हमने आपकी याद में एक भोज का आयोजन किया..भरपूर कोशिश रही की किसी चीज की कमी न हो ..गांव परिवार के लोगो को पारस भी भेजवाया. ..आप भी कम थोड़े न थे ..भला शुगर का लेवल इतना हाई मेन्टेन करना किसी राजा के ही बस की बात थी ..खेल गए एक लम्बी पारी अपने धोनिया की ही तरह..हाँ , आप ने कभी धोनी नहीं बुलाया ..जब जैसे मौका मिला धोनिया ही कहा ..
३ मार्च २०१७ की वो शाम ..बाप बेटे ने एक मैराथन कॉल पर काफी कुछ डिसकस किया था..एक ओर जहाँ आप अपने बड़ी बहु के टोक्यो आने की ख़ुशी में उत्साहित थे ..ख़ुशी से फुले न थे वही परिवार , अपने बिज़नेस की सारी अनकही बातें कहते चले गए . मुझे याद है ..हम दोनों ही लगातार हँस रहे थे..आपको याद होगा न ..मोदी जी को भी आपने याद किया था ..पापा ..अब क्या बताऊँ ..आजकल ज्यादा कुछ ठीक नहीं हो रहा है …पापा , राहुल आज भी वैसा ही है ..कोई खास सुधार नहीं ..राम मंदिर अभी भी नहीं बना है .शायद २०१९ के चुनाव में फिर से जोड़ पकडे..बेगूसराय में आपकी कर्मभूमि NH31 को ४ लेन बनाने का काम जोड़ शोर से चल रहा है . अगर इसी स्पीड से काम चलता रहा तो जल्दी ही बन जायेगा और फिर बेगूसराय पटना की बस यात्रा और आसान हो जाएगी . बस उस रोड पर नहीं होगी तो ” लाल बाबू जी ट्रेवल्स ” ….हम लोग तो इतना आपको मनाये थे की तबियत ठीक नहीं रहती अब बैठिये घर पर आराम से..लेकिन नहीं , आपको कुछ तो चाहिए था मनोरंजन के लिए..आपके जाने के बाद हमने लगभग १५ दिनों तक आपके बस को चलवाया था..पक्का १२ बजे मैं भी बस स्टैंड के लिए निकल जाता था..१२;२० में बस खुलवाने के बाद जीरो माइल तक बाइक से साथ में जाता था..चालान का सारा हिसाब आपकी ही तरह डायरी में चढ़ा देता था …

एक समय था जब हम दोनों भाई को हमारा ही स्टाफ नहीं पहचानता था..हमने अपने बस में भी भाड़ा दिया है लेकिन परिचय नहीं ..आपका मानना था ..बस स्टैंड का धुँवा बहुत ख़राब होता है ..जिसको लगा वो निकल नहीं पाया …हम दोनों भाई तो दूर ही रहे ..आपके जाने के बाद उस १५ दिनों में ही सभी लोग मुझे जानने लगे थे ..आपके बाइक को सब पहचानते थे ..मुझे भले ही पहचाने या नहीं . मुझे भी वो धुआं अच्छा लगने लगा था ..क्योंकि मैं वहां आपको अपने चारो तरफ पाता था ..आपकी उपस्थिति का एहसास होता था..लेकिन आप मम्मी को तो जानते हैं न..मेरा टोक्यो का टिकट कटवा के बोली ..जाओ वापस अपना काम करो ..ये सब मैं संभाल लुंगी ..पापा अब आपका बिज़नेस बंद हो चूका है ..लेकिन सुकून है ..यकीं मानिये ..आपने एक रिटायरमेंट वाली फीलिंग दे दी पुरे परिवार को और ज्यादा कुछ नहीं . आप रहते तो अभी और बोर होते या एक दो नया बस निकालने के फिराक में होते ..पूरी जिंदगी आपको सिर्फ संघर्ष और मेहनत करते देखा है ..अब कितना मेहनत करते जी …

पापा , आपके जाने के बाद मम्मी से एक बार भी दूध चूल्हे से उबल कर नही गिरा है , वो बहुत साहसी हो गयी है ..एक तस्वीर बरामदे पे लगी हुई है ..जहाँ आप पुरे दिन बैठते थे ..वो कहती है की मालिक साथ में ही है तो फिर क्या टेंशन . कोई भी काम करने से पहले आपसे आशीर्वाद ले लेती है . पूजा घर में एक बड़ी तस्वीर लगी हुई है ..उसमे आप साक्षात् खड़े नजर आते हैं . मम्मी के अकेलेपन का पायदान साफ़ नजर आता है . लेकिन उनको तो आप जानते ही है न . समाज में एक उदाहरण के तौर पर उनकी शुरू से एक मिसाल रही है . वो समय पर दवा खा लेती है ..लेकिन एक बात बताना था..पहले सिर्फ रात में सोते वक़्त एक दवा खाती थी..अब २-३ और बढ़ गया है ..पापा आप अपना स्नेह और आशीर्वाद बनाइये रखिये और ज्यादा इधर का मत सोचियेगा .
तो आज का कैसा रहा आपकी होली ..सुबह में कौन कौन आये थे रंग लगाने …? अबीर से खेले या वही मोहल्ला के कादो कीचड़ वाला .अब तो जमकर रसगुल्ला भी खाये होंगे और पुआ भी ..कतनो बढ़िया कुछ मिला होगा खाने का ..मम्मी के हाथ का दही बड़ा तो आज जरूर मिस किये होंगे आप ..हमको तो याद भी नहीं की अंतिम बार घर पर होली कब खेले थे…आपकी होली मम्मी संग ही रही है ..इसीलिए ज्यादा टेंसन मत लीजियेगा..सुबह मम्मी बता रही थी की आपके लिए ४ पुआ बना ली थी..महामाया माय पर प्रसाद चढ़ा कर आपको भी भोग लगा ही दी थी..अच्छे से रहिएगा ..थोड़ा पानी और ठण्ड से बचकर..नहीं तो फिर दम्मा उठ जाएगा ..देखिये हम भी खिसकले है…अब आप तो इ सबसे ऊपर उठ चुके ..
एक कर्ता के रूप में मैंने हर वो रस्म निभाया जो शाश्त्रो के हिसाब से है और पंडित जी एवं बड़े बुजुर्गों ने समझाया…उम्मीद है की आप तक मेरी बात पहुँच रही है ..मैं बहुत मिस करता हूँ आपको ..लेकिन मुझे मालूम है की आप कही आसपास ही हैं और मुझे देख रहे हैं ..अगर मैं परेशां हुआ तो आप भी परेशां हो जाएंगे ..इसीलिए बहुत सारे चीजों में अपने को इन्वॉल्व रखता हूँ ..गुस्सा मत कीजियेगा..अभी नितीश कुमार आये थे टोक्यो ..उनका स्वागत अच्छे से किये थे..आप अपने दोस्त लोग को बता दीजियेगा की बिट्टू मिला था उनसे यहाँ …आपके जाने के बाद आपके दो और मित्र पीछे से आपके पास पहुँच ही गए हैं…तेरहवी के दिन टुनटुन चाचा जी आये थे मुझसे मिलने ..बता रहे थे की तबियत ठीक नहीं रहता है ..पटना में इलाज चल रहा है लेकिन शालो दा के तेरहवी में नहीं आते .ये संभव नहीं था …बहुत जिद करने पर भी कुछ नहीं खाये थे और बस चुमौना देकर चले गए थे ..बाद में एक महीने के अंदर ही वो आपके पास ही चले गए ..मेरे टोक्यो आने से पहले अकिलदेव चाचा जी का बाइक से स्टैंड हो गया था ..हम भी भागकर हॉस्पिटल पहुँच गए थे ..हमको देखकर वो जोर जोर से रोने लगे थे की आप को बहुत मिस करते हैं ..वो भी इधर कुछ महीनो पहले आपके ही पास जा चुके हैं .. .पिछले महीने अपने गाँव वाले नरेश चाचा जी भी भोज खा कर आये और रात में चल बसे..समय की यही नियति है . वैसे हम दोनों भाई को सेवा का सुख आप देते रहे हैं..छुट्टी में आने पर आपका डेली देह दबाना..सर में तेल लागते हुए सुलाना ..पैर का बैठकर पेडीक्योर करना ..ये सब तो कर ही देते थे ..

ज्योति मेरा बहुत ख्याल रखती है ..मन्टुन और राधिका ने गोवा में अपना फ्लैट खरीद लिया है लेकिन उन्दोनो का ट्रांसफर कोच्ची में हो गया है .मन्टुन अपने ट्रेनिंग में बहुत मन लगा कर पढता रहता है ..बहुत शांत हो गया है वो भी ..बिट्टू के मन्टुन की Cutie राधिका भी उसका बहुत ख्याल रखती है .मम्मी गोवा गयी थी . दोनों ने उनका बहुत मन से सेवा -सुश्रुषा की . मम्मी को बेगूसराय में ज्यादा मन लगता है ..इसीलिए वो फिर वापस आ गयी है ..पता है , मम्मी अकेली ही फ्लाइट से आ गयी थी ..पहली बार थोड़ी पैनिंक हो गयी थी और एयरपोर्ट से ही वापस आ गयी थी . उनका फुल बॉडी चेक अप करवाया गया है …वो अपना ध्यान अच्छे से रखती है .

पप्पू भैया , बबलू भैया ..दोनों मामू जी ..विमल मौसी , नीलम मौसी सब लोग मम्मी का हमेशा हाल चल पूछते रहते हैं…राम प्रवेश चाचा , माला चाची भी मम्मी से मिलने आते रहते हैं..भानु , दोनों चाची जी भी मम्मी के खाने के लिए कुछ न कुछ बना कर ले आते हैं हर पर्व त्यौहार में ..बड़े पापा आपको बहुत याद करते हैं शायद वो सहम गए हैं ..इसीलिए वो अब घर नहीं आ पाते हैं..बड़की चाची जी भी मम्मी से फोन पर बात कर लेती है और मिलने भी आ जाती है …मनोज भैया और मिंटू दीदी एकदम वैसे ही है ..हर जरुरत में दोनों लोग मम्मी की मदद करने के लिए हाजिर हो जाते हैं..

पंडित जी ने हिंदी तिथि के हिसाब से आपकी पहली पुण्यतिथि आज से १० दिन पहले ही बताया . मम्मी ने ब्राह्मण लोगो को अच्छे से खाना खिला दिया था… आप समझा दीजिये सबको की मम्मी और हमदोनो भाई एकदम ठीक है ..और बस हमेशा यही ख्याल रखते हैं की मम्मी खुश रहे और स्वस्थ रहे . आप हमेशा एक बात कहते थे ..जीरो पर आये हैं ..जीरो पर जिंदगी शुरू किये हैं..हमेशा जीरो ही रहे हैं और जीरो पर ही आउट हो जायेंगे ..आज उस शून्यता का एहसास होता है .


आप सचमुच बहुत याद आते हैं ..!!
आपका बिटटू मन्टुन
आप तो सच मे रुला गए ।
पूरा पढ़ने में 2 बार साहस जुटाना पड़ा । थोड़े भावुक हम भी है । बिना रोए पूरा नही पढ़ पाए ।
इतना तो निश्चित है कि आप के पिताजी का जीवन आप जैसी संतान के कारण सफ़ल और पूर्ण रहा ।
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