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पापा उन लम्हों को दुबारा जी लेने का मन करता है !

पापा के नाम चिट्ठी !  कितने दूर चले गए हो पापा , इस दूरी से डर सा लगता है , आपके सीने से लग पापा , रोने का मन फिर करता है ! अब ये नामुमकिन सा ही है , न जाने क्यों दिल नहीं मानता है , उन लम्हों को दुबारा , जी लेने

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