पापा के नाम चिट्ठी ! कितने दूर चले गए हो पापा , इस दूरी से डर सा लगता है , आपके सीने से लग पापा , रोने का मन फिर करता है ! अब ये नामुमकिन सा ही है , न जाने क्यों दिल नहीं मानता है , उन लम्हों को दुबारा , जी लेने
Connect-the-dots : By Vikash Ranjan
पापा के नाम चिट्ठी ! कितने दूर चले गए हो पापा , इस दूरी से डर सा लगता है , आपके सीने से लग पापा , रोने का मन फिर करता है ! अब ये नामुमकिन सा ही है , न जाने क्यों दिल नहीं मानता है , उन लम्हों को दुबारा , जी लेने